Darpan

​मिल गया जो थोड़ा साहस
तो डरना छोड़ दिया तुमने
मिल गया जो थोड़ा रूप
तो दर्पण तोड़ दिया तुमने
मिल गया जो थोड़ा वेग
तो तूफ़ान मोड़ दिया तुमने
मिल गया जो जग का साथ
तो पत्थर जोड़ दिया तुमने
मिल गया जो थोड़ा विश्राम
तो लड़ना छोड़ दिया तुमने
मिल गया जो कभी सहारा
तो गिरना छोड़ दिया तुमने
मिली जो कभी थोड़ी गहराई
तो मिटना छोड़ दिया तुमने
मिल गयी जो थोड़ी पूँजी
तो लुटना छोड़ दिया तुमने
छलनी में पानी भर कर,
तुम प्यास क्या बुझाओगे
बीते को सोचोगे अगर
तो इतिहास क्या बनाओगे
जब भी तुमने कुछ पाया
तो खोना सीख लिया तुमने
जब भी तुमको ख़ुशी मिली
तो रोना सीख लिया तुमने
मुस्कानों के बाज़ारों में,
आँसू कहीं नहीं बिकते
सफलताओं की तस्वीर में
नाकाम रंग नहीं दिखते
समझो की ये सारा जग
ये सारा जहाँ जीत लिया तुमने
जिस दिन अपने जीवन में
गिर के उठना सीख लिया तुमने

— अनुज तिवारी

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